यह सब जगत सृष्टि से पहले प्रलय में, अन्धकार में आवृत्त था।
4.
जिस जगत सृष्टि की मन से हम कल्पना भी नहीं कर सकते ।
5.
वे उस देश में पैदा हुए जिसमें जीवन, जगत सृष्टि और प्रकृति के मूल में एकमात्र अविनश्वर चेतन का दर्शन किया गया है और सारी सृष्टि की प्रक्रिया को भी सप्रयोजन स्वीकार किया गया है।